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-गुरुवाणी
भी चौदह केरेट का, चौबिस केरेट का नहीं. यह भी पूर्व के संस्कार से प्रेरित होकर, या देखा-देखी.लोक-व्यवहार से, या गुरुजनों की प्रेरणा से भावुकता के अन्दर हम कर लेते हैं. यही कारण है कि उसे करने से आत्मा को पूर्ण संतोष या तृप्ति नहीं मिलती जो मिलनी चाहिए.
धर्म क्रिया के अन्दर साधना क्षेत्र में जो आनन्द का अनुभव मुझे मिलना चाहिए, वह आज नहीं मिल पा रहा है, व्यापार करते हैं परन्तु यदि नफा न मिले तो चेहरा कह देता है. धर्म क्रिया करते समय यदि चित्त की प्रसन्नता न मिले, आत्मा को यदि आनन्द वहाँ न मिले. तो चेहरे पर प्रसन्नता कैसे झलक सकती है? धर्म क्रिया का आनन्द, उसकी प्रक्रिया का जो तेज हमारे चेहरे पर नजर आना चाहिए, वह आज तक नजर नहीं आया. क्योंकि जब आन्तरिक प्रसन्नता हो तब ही उसका बाह्य स्वरूप प्रकट होता है. हममें उसका अभाव रहा है. इसी कारण इन सूत्रों के द्वारा बतलाया गया कि पहले अपने जीवन के व्यवहार का शुद्धिकरण किया जाये.
जीवन व्यवहार का आधार वास्तव में पैसा या द्रव्योपार्जन नहीं अपितु वाणी का व्यवहार है. जिससे प्रतिदिन का आपका व्यवहार चलता है. कौटुम्बिक, पारिवारिक, सामाजिक आर्थिक सारे व्यवहार की आधारशिला ही आपकी वाणी है. उस वाणी पर कैसे नियन्त्रण प्राप्त किया जाये. इसका उपाय इन सूत्रों के द्वारा बतलाया गया.
निन्दक व्यक्ति कभी प्रिय नहीं बनता, वह कभी अपने जीवन में एक रूपता प्राप्त नहीं कर सकता. सामाजिक दृष्टि से, आध्यात्मिक दृष्टि से, वह व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता. उसके जीवन में वह भाव पैदा ही नहीं होगा. यहाँ उपस्थित वर्तमान उसका ही कट परिणाम है कि हम विभक्त है. विभक्त होने का मूल कारण वाणी के अन्दर विवेक का अभाव है, इससे साम्प्रदायिक भावना आएगी. साम्प्रदायिक भावना से पीड़ित होकर के हमारी वाणी अशुद्ध बनेगी. अशुद्ध वाणी क्लेश का कारण बनती है.
देश के विभाजन का यही कारण हुआ. दुनियां के नक्शे हमेशा बदलते रहते हैं. वे नक्शे बदलने के पीछे कारण हैं, उन पुरुषों की वाणी है जो जरा-जरा सी बात लेकर के हमारा इतिहास कलंकित करते हैं. ___मानव जाति का पांच हजार वर्ष का इतिहास कहता है कि हमारी वाणी के दोष के कारण आज तक 15600 युद्ध हुए. पांच हजार वर्ष के इतिहास में मानो सिर्फ लड़ाई का इतिहास है, 15600 युद्ध और उसके पीछे कारण आपकी वाणी, वाणी का विकार विनाश का कारण बना. वाणी पर नियन्त्रण नहीं रहा.
आप गाड़ी में जा रहे हैं. 120 कि. मी. की रफ्तार से गाड़ी दौड़ रही है. परन्तु यदि ब्रेक पर आपका कन्ट्रोल न रहा तो परिणाम क्या आयेगा. आप बोल रहे हैं वाणी का प्रवाह गतिमय होगा. परन्तु यदि विवेक का अनुशासन नहीं रहा. संयम का ब्रेक यदि वाणी पर
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