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गुरुवाणी:
उन आत्माओं के लिए कभी ऐसा प्रसंग आ जाये तो अपना सर्वस्व अर्पण कर देना.
अमेरिका में एक ऐसी अपूर्व घटना घटी. एक व्यक्ति समुद्र के किनारे रात्रि में एक बजे गाड़ी लेकर के जा रहा था. वहां तो गाड़ी बड़ी स्पीड में चलती है. सब एक्सप्रेस हाइवे होता है, किसी कारण से लेट हो गया. बहुत दूरी पर एक ऐसा समुद्र का किनारा आया जहां लोग घूमने आया करते हैं. रात्रि के एक बजे चुके थे. उसके मन में एकदम विचार आ गया कि ऐसा सुन्दर रमणीक वातावरण है थोड़ी देर के लिए गाड़ी रोक कर मैं घूम लूं. गाड़ी रोक करके वह घूमने के लिए समुद्र के किनारे जाने लगा. बड़ी सुन्दर हवा चल रही थी और उसको बड़ा आनन्द आया.
तनाव से मुक्त होने के लिए शुद्ध वातावरण चाहिये. मन को बहलाने के लिए ऐसा वातावरण असरदार होता है. वह मनकी दवा है जिससे मन को आरोग्य मिलता है. संयोग से, पीछे एक गाड़ी आ रही थी. बड़ा उदार व्यक्ति था, उसने एकदम अचानक ध्यान से देखा कि इतने एकान्त में समुद्र के किनारे गाड़ी रोकने वाले की क्या पता गाड़ी खराब हो गई हो.
आप उसकी मानवता देखिये. शिष्टाचार देखिये उसी समय अपनी गाड़ी पास में रोक दी. गाडी में झांककर देखा तो कोई व्यक्ति नहीं. दूर दृष्टि डाली तो समुद्र के किनारे एक व्यक्ति जा रहा था. मन में एक ऐसी कल्पना कर ली कि जरूर यह व्यक्ति आत्मघात के लिए जा रहा है. नहीं तो रात्रि में एक बजे समुद्र के किनारे जाने का दूसरा क्या प्रयोजन.
हालांकि उसे बहुत जल्दी थी. कोई मित्र आ रहे थे. उन्हें लेने के लिए एयरपोर्ट जा रहा था. घड़ी देखकर विचार किया कि जल्दी से जाकर मैं इस आदमी को पहले आत्महत्या करने से बचा लं. दौडता हआ गया उस व्यक्ति के पीछे गया कि यह मेरे देश का नागरिक है, किसी कारण वह कोई उलझन में आ गया होगा और कदाचित् यदि आत्मघात करता है, तो ईश्वर का गुनहगार बनता है. यदि मैं इसे नहीं बचाऊं तो मैं भी गुनहगार बनता हूं. उसको सांत्वना देनी चाहिये. यह मेरा नैतिक कर्त्तव्य है. दौड़ता हुआ गया तो उसे देखकर वह व्यक्ति एक दम आश्चर्य में पड़ गया. पीछे से गया. पीठ थपथपाई. क्यों यार, जीवन बहुत मूल्यवान है. परमात्मा की दी हुई भेंट है. यह लुटाने के लिए नहीं है. इस प्रकार बेमौत मरने के लिए जीवन नहीं मिला है. तुम ईश्वर के गुनहगार बन जाओगे. जो भी समस्या है, मैं तुम्हें कार्ड देता हूं, मेरे आफिस में कल आकर के मिलो. मेरे पास अभी ज्यादा नहीं दस डालर हैं. तुम्हारे पाकेट में रखता हूं. तुम आ जाओ, मित्र यह विचार बदल दो.
उसे बोलने का अवसर नहीं मिला और वह विचार में पड़ गया कि भाई उस व्यक्ति ने कैसे गलत समझ लिया. मैं कोई मरने तो नहीं जा रहा. परन्तु उसके मानवतावादी विचार को सुनने के बाद वे शब्द मन्त्र की तरह लगे. उसकी मूर्च्छित चेतना थी, वह जागत हो गई. एक पैसा कभी परोपकार में देने वाला नहीं, और उस व्यक्ति के मन में
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