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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuni Cyanmandir की भव्य प्रतिमा, माणिभद्रवीर तथा भगवती पद्मावती सहित पांच प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं। सभी प्रतिमाएँ अत्यन्त मोहक एवं चुम्बकीय आकर्षण रखती हैं। इस महावीरालय की विशिष्टता यह है कि आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. के अन्तिम संस्कार के समय प्रतिवर्ष 22 मई को दुपहर, समय 2.07 बजे महावीरालय के शिखर में से होकर सूर्य किरणें श्री महावीरस्वामी के तिलक को देदीप्यमान करती है। गुरुमंदिर : पूज्य गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. के पुण्य देह के अन्तिम संस्कार स्थल पर पूज्य श्री की पुण्य स्मृति में संगमरमर का कलात्मक गुरु मंदिर निर्मित किया गया है। स्फटिक रत्न से निर्मित अनन्तलब्धि निधान श्री गौतमस्वामीजी की मनोहर मूर्ति तथा स्फटिक से ही निर्मित गुरु-पादुका वास्तव में दर्शनीय है। इस गुरु मंदिर में आचार्य श्री के जीवन-प्रसंगों को स्वर्णाक्षरों से अंकित करने की योजना है। गुरुमंदिर । आराधना भवन : आराधक यहाँ आत्माराधना कर सकें इसके लिए आराधना भवन का निर्माण किया गया है। मुनि भगवंत यहाँ स्थिरता कर अपनी संयम आराधना के साथ-साथ विशिष्ट ज्ञानाभ्यास, ध्यान, स्वाध्याय आदि का योग प्राप्त करते हैं। प्राकृतिक हवा एवं प्रकाश से भरपूर इस आराधना भवन में एक प्रवचन खण्ड व 18 कक्ष हैं। इनमें से छ: कक्ष भूगर्भ में हैं जो ज्ञान, ध्यान, स्वाध्याय के लिये विशेष उपयुक्त हैं। साधु भगवंतो के उच्चस्तरीय अध्ययन के लिए अपने-अपने क्षेत्र के विद्वान पंडितजनों का विशिष्ट प्रबन्ध किया गया है। यह ज्ञान, ध्यान तथा आत्माराधना के लिये विद्यानगर काशी के सदृश सिद्ध हो सके, इस हेतु प्रयास किये गए हैं तथा आगे भी चल रहे हैं। For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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