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"मांस भक्षण सुस्ती लाता है, उससे मस्तक, मांस पेशीयां, हड्डी तथा शरीरमें खून का दौरा कम पड़जाता है, इस प्रकार की जो न्यूनता चालही तो परिणाम में-स्वार्थवृत्ति, लोलुपता, कायरता, अधःपतन, हास, और आखिर में विनाश निश्चित है।"
1. मांस अनावश्यक अस्वाभाविक व अहितकर है। 2 अन्नसे कम पुष्टीकारक है। 3. दांतोकी सफेदी पर भी उसका कुप्रभाव पड़ता है।
4. आलस, भारीपन प्रातःकालीनथममें भी अरुचि उत्पन्न करता है।
5. मांस शराबपीना आदि समस्तदुर्गुणोंका आमंत्रित करता है।
अनुभवहीन डॉक्टरांने मांसाहारको बढावा दिया । डोकटरोंके प्रयोगके लिए प्रतिवर्ष हजारेराजीवोंका मारा जाता है, अगर वे थोडी बुद्धिसे विचार करे तो उन्हे शात होजायेगा कि-जिस वनस्पतिको खाकर पशु, हृष्ट पुष्ट और बलवान बनते हैं। और फिर उसी पौष्टिक तत्व को उनके मांससे निकाल कर उसको दवाका रूप देते हैं, अगर वे सीधा वनस्पतीमेंसें ही वे पोष्टिकतत्व निकालनेका प्रयत्न करें तो इतने निषिजीकी हत्या तो न हो, और साथ ही जो मौषधीका दुष्प्रभाव पड़ता है वह भी न होने पाये।
मांस देरसे पचता है। नीचेकी तालिकासे आपको झात हो जायेगा कि मांस, अन्न और शाकादिकी अपेक्षा देरसे पचता है। मोजनका नाम, किस प्रकार पकाया हुआ, पचनेका समय, चावल
उकालकर पकाया हुआ, १ घंटा अनासपाती पका हुआ,
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