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"जितने भी संयोग है, उनका अन्त वियोग है। संयोग शब्द ही वियोग की सूचना देता है।"
हे भव्यात्माओं! तुम भवांतर से लाई गई, पुण्य सामग्री का जतन करो, नया पुण्य उपार्जन करो। उत्तरोत्तर पुण्य वृद्धि तुम्हें मुक्ति-पथ पर ले जायेगी।
___ माना कि आप अपने दोस्त की या अन्य किसी की मदद आर्थिक सहायता देकर नहीं कर सकते, या करना नहीं चाहते।
परंतु उसकी परेशानी को हल्का करने के लिये कुछ प्यार भरे मखमली शब्दों का सहारा तो दे सकते हैं न?
उनकी पीड़ा में संवेदना मिलाकर थोड़ा हल्कापन तो उसे दे सकते हैं न!
यदि प्यार भरा, दिलासा भरा, या हिम्मत भरा आश्वासन हम दे नहीं सकते, तो शायद हम दुनिया के सबसे बदनसीब इंसान हैं।
कहीं ऐसा न हो कि आप जिसे, आज जो देना नहीं चाहते, कल उसी से वह मांगने की नौबत आ जाये।"
"दयालुता, करुणा व दोस्ती का भाव , ये सब सहज आर्कषण के चिन्ह
हैं
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