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" सम्यक् ज्ञान रूपी रत्न को पाये बिना, हमारे सारे व्रत नियम बिननेतृत्व वाली सेना की तरह तुरंत नष्ट हो जाते हैं। "
" मानव को अगर आत्म-दर्शन पाना हो तो, अपनी इच्छाओं का दमन करना होगा।
" जो मनुष्य कछुएँ की तरह अपनी इंद्रियों को संकुचित करने की क्षमता रखता है, उसकी बुद्धि स्थिर होती है। "
" मूर्ख दोस्त से समझदार दुश्मन अच्छा "
“ जिसको वैभव एवं ऐश्वर्य प्राप्त हुआ है, उसे यह सोचना चाहिये कि मुझे भगवान् ने वैभव क्यो दिया है? और दिया है तो उसका परमार्थ में उपयोग क्यों न करूँ? "
“ नदी जब तक दो किनारों के बीच बहती है। तब तक तो वह सभी की प्यास बुझाती है और अनाज ऊगाई के लिये सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाती हैं, पर जब वह सीमाओं को तोड़ बाढ़ के रूप में बहने लगती हैं, तब भयंकर विनाश का सृजन करती है। उसी तरह इंसान अगर धर्मानुसार जीवन जिए, तो मानव से महा-मानव बनता है। अन्य लोगों के लिये
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