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फिर क्यों नहीं दिल, तुम्हारा भर आता,
जब हर दिन उनको, कत्ल किया जाता।
स्वान से सीखो दोस्तों,
__वफा किसको कहते हैं। छोड़ते नहीं वो घर तुम्हारा,
घर में ही बैठे रहते हैं।। एक कतरा रोटी के खातिर,
हर उपसर्ग तुम्हारे सहते हैं। अजनबी अनजान से तुमको,
फिर भी आगाह करते रहते हैं।
" स्वयं के मूल्यांकन की क्षमता सम्यक् ज्ञान से ही आती है।".
___“ इच्छा और तृष्णा से केवल कर्म-बंध ही होगा।"
“ गुलामी का जीवन अगर पूर्ण सुखमय भी हो, तो भी वह आजादी की दःखभरी जिंदगी से भी बदतर हैं।"
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