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हर किसी को खुश करने की ख्वाहिश
किसी की पूरी हो न सकी, कभी वो रूठा, कभी उसे मनाया,
पर हर किसी की नाराजगी दूर हो न सकी, सिल-सिला ये यू ही चलता रहा,
दोस्ती सभी से हो न सकी। तरसते रहे हम, सभी को अपना बनाने को।
पर ख्वाहिश यह हमारी पूरी हो न सकी। ये दुनिया हमारी हो न सकी। 2
जो तुम हँसोगे तो, हँसेगी ये दुनिया। पर रोओगे तुम तो न रोएगी ये दुनिया।।
चलोगे तुम तो चलेगी ये दुनिया। रुक गये तुम तो, न रुकेगी ये दुनिया।।
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