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प्रयत्नशील भी रहना चाहिये।"
____ “भक्ति-गंगा अध्यात्म के पूर्णानंद सागर में अपनी आत्मा को ले जाती
"सुख तो केवल मोक्ष में है, संसार तो दुःख रूप, दुःख फलक, एवं दुःखानुबंधक हैं। मोक्ष का सुख पूर्ण अक्षय एवं शाश्वत है। उस पूर्णानंद स्वरूप को कैसे प्राप्त किया जाय? यही सोचें।
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