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- मायिक जैन परंपरा का एक आवश्यक सा अंग है । अध्यात्म अर्थात् आत्मा के अध्ययन में सामायिक साधना पूरा-पूरा सहयोग करती है । उस अवधि में मनुष्य पूर्ण रूप से साधना में से संलग्न हो जाता है । जीवन के अन्तर-बाह्य संघर्षों से परे होकर प्रशांति के क्षणों में डूब जाने का नाम ही सामायिक है । निर्मल पवित्र आध्यात्मिक जीवन जीने में सामायिक का बड़ा योगदान रहता है । सामायिक-आत्म साधना है। जीवन में समभाव को लाने के लिए यह सहायक है । यह उपक्रम मनुष्य को शुभ के चिंतन में प्रवृत्त करता है । मनुष्य के विवेक को जागृत करता है ।
सामायिक के अनमोल मोल को दर्शता है यह कथन - दिवसे-दिवसे लक्खं देइ,
सुवण्णस्स खंडियं एगो। एगो पुण सामइयं करेइ
न पहुप्पए तस्स ॥ एक आदमी प्रतिदिन लाख स्वर्ण-मुद्राओं का दान करता है और दूसरा मात्र दो घड़ी सामायिक करता है, तो स्वर्ण मुद्राओं का दान करने वाला व्यक्ति सामायिक करनेवाले की समानता प्राप्त नहीं कर सकता । सामायिक जैन साधना परंपरा का
प्राणतत्त्व है । षडावश्यक में सामायिक का प्रथम 76 - अध्यात्म के झरोखे से
D _अध्यात्म-साधना का प्राणतत्त्व : सामायिक
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