________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रखनेवाला सबकी सहानुभूति पाता है । विवेक किसी एक की बपौती नहीं है । विवेक कोई भी अपना सकता है । जिस मनुष्य में विवेकशून्यता होती है, उसे अनेक प्रकार की हानिया झेलनी पड़ती है । अविवेकी मनुष्य बनते काम बिगाड़ देता है । विवेकी विचार सजाता-संवारता है। विवेकहीन की मूर्खता भी मूर्खता की श्रेणी में आती है । जीवन में विवेक को ही सर्वोपरि महत्त्व दिया जाना चाहिए । आध्यात्मिक उत्कर्ष का आधार विवेक है । विवेकी वह है जिसे हेय, उपादेय का बोध है । सम्यक् बोधपूर्वक समुचित दिशा में गति करनेवाला आध्यात्मिक सिद्धियों को उपलब्ध कर लेता है |
asur
बनायी
मनुष्य विवेक से चले, विवेक से बढ़े - 67
For Private And Personal Use Only