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करके जीवनोत्कर्ष साधकर जन-जन अन्तर-बाह्य क्लेशों से अपने आपको मुक्त कर सके । आधुनिक युग में पुनर्जन्म वाद के परिप्रेक्ष्य में आए दिन समाचार पत्रों आदि में ऐसी घटनाएं देखने पढ़ने को मिलती है । विगत वर्षों में सत्य घटनाएं शीर्षक से एक पुस्तक देखने में आई जो इस दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण कही जा सकती है।
आज सबसे बड़ी समस्या और संकट यही है कि व्यक्ति को अपने आप पर विश्वास नहीं है । जिस जीवन यात्री का अपने आप पर विश्वास अर्थात् आत्मशक्तियों पर विश्वास होता है, वह कभी कही, किसी भी परिस्थिति में बाहर में नहीं भटकता। वह अपने दैन्य का रोना कहीं पर नहीं रोता । उसके अन्दर और बाहर आत्म विश्वास का आलोकित आलोक रहता है । जितने भी शास्त्र, जितने भी ग्रन्थ, जितने भी गुरु
और जितने भी धर्म और संप्रदाय है वे सबके सब व्यक्ति के भीतर के सोए हुए आत्मविश्वास को जगाने का प्रयत्न करते है। मनुष्य को कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। अपनी आत्म-शक्ति को जगाने का प्रयत्न करना चाहिए । प्रत्येक आत्मा-परमात्मा का स्वरूप है । 'अप्पा से परमात्मा' जो आत्मस्वरूप है, वही परमात्मा स्वरूप है । प्रत्येक घट में वह दिव्य ज्योति विद्यमान है मात्र उसे प्रकट करने की आवश्यकता है । अतः आत्मशक्ति को जगाओ । अन्तर में डुबकी लगाओ । कर्म-कल्मष को दूर भगाओ। अपने आप में खोकर अपनी मंजिल को पाओ । आत्मजागरण ही विकास का सच्चा सोपान है।
पुनर्जन्म एवं परामनोविज्ञान की दृष्टि में आत्मा - 41
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