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ध्यात्मिक समुत्कर्ष के लिए साधक के ज। जीवन में योग साधना अत्यावश्यक है। अध्यात्म-साधना में योग का सहयोग असंदिग्ध है। इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि योग के अभाव में अध्यात्म के क्षेत्र में बढ़नेवाला पथिक गड़बड़ा जाता है । योग प्रवक्ताओं ने स्पष्टतः संसूचन किया कि आत्मा को परमात्मास्वरूप तक ले जाने में योग का सहयोग कारगर होता है। योग साधक को 'स्व' में स्थित कर देता है | योग एकाग्रता साधने में सहायक है। योग से जीवन को सार्थक आयाम उपलब्ध होता है । योग, अध्यात्म सिद्धि का श्रेष्ठतम साधन है। योग, चित्तवृत्तियों का निरोध है, मन का स्थैर्य है । अध्यात्म साधना में योग का अत्यन्त विशिष्ट स्थान है । जोए वह माणस्स, संसारो अ इवत ई।
- योग-युक्त साधक संसार सागर को पार कर जाता है । योग किसे कहते हैं, इस बात को पहले समझ लेना आवश्यक है | योग अर्थात् मिलन, जोड़ एक संपूर्ण स्थिति । यह साधारण से साधारण व्यवहार से लेकर अध्यात्म साधना तक में प्रयुक्त होता है । जैसे-जैसे इसका स्तर बढ़ता है, वैसे-वैसे इसके उद्देश्यपूर्ति में भी उच्चता आती है । अध्यात्म साधना में एक परिपूर्णता आती-जाती है । गीता के शब्दों में कर्म करने की
कुशलता योग है । गीता - फलासक्ति के 18 - अध्यात्म के झरोखे से
____अध्यात्म साधना में योग का सहयोग
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