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_धर्म का विशाल दृष्टिकोण
- च्चे मानव का जीवन अथ से लेकर इति ततक धर्म से ओतप्रोत रहता है । वह किसी भी क्षेत्र में गति करता है, चाहे फिर वह क्षेत्र पारिवारिक एवं सामाजिक कर्तव्य का हो, व्यवसाय या साधना का हो, धर्म निरंतर उसके साथ रहता है । वह जीवन के हर मोड़ पर, आयाम पर उसे ठीक गति देता है, निरंतर ऊपर उठने की ओर प्रेरणा देता रहता है । परन्तु उसके विपरीत जब जीवन के साथ धर्म को
औपचारिक रूप से अमुक क्षेत्र या काल तक जोड़ लिया जाता है तो मानव जीवन की सही दिशा से भटकने लगता है। ____ आज हमारे सामने यही स्थिति है, हम वर्तमान में एक ऐसे विश्व में जीवन यापन कर रहे हैं, जिसमें सारा वातावरण औपचारिकता, सन्देह, अनिश्चितता और भय से भरा हुआ है । विश्वासों और विचारों में मानवीय मन की आधार-भूत श्रेणियों में परिवर्तन की आवाज सुनाई दे रही है। इतना ही क्यों ? मानव अपने आप में इतना सीमित हो गया है कि अपने दृष्टिकोण के अनुसार जीवन की, धर्म की व्याख्या करता है और तदनुसार जीवन का व्यवहार करता है।
कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जो दिन-रात में एक-दो घण्टे के लिए ही धर्म से नाता जोड़ते हैं, कुछ
130 - अध्यात्म के झरोखे से
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