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-_संयम का अर्थ है - आध्यात्मिक शक्ति
- रतीय संस्कृति का मूल आधार जप, ना त्याग और संयम है । संयम में जो सौन्दर्य है, संयम में शक्ति है वह भौतिक भोगविलास में कहाँ है ? भारतीय धर्म और दर्शन के अनुसार संयम में से आध्यात्मिक संगीत प्रकट होता है। इस बात को यों ही कहा जा सकता है कि - संयम का अर्थ आध्यात्मिक शक्ति है । भारतीय चिंतकों ने संयम की महत्ता का संगान किया है।
भारतीय धर्म दर्शन और संस्कृति भौतिक नहीं अपितु आध्यात्मिक है । यहाँ प्रत्येक व्रततप-जप और संयम को भौतिक दृष्टि से नहीं, आध्यात्मिक दृष्टि से आंका जाता है । संयमी व्यक्ति अध्यात्म को भूलता नहीं है, संयम के अभाव में साधक भोगवाद के दलदल में फँस जाता है और अपनी आत्मा के स्वरूप को भूल जाता है । आत्म स्वरूप की, अध्यात्म की विस्मृति ही भव-भ्रमण है । विविध प्रकार की त्रासदियो एवं क्लेशो का आगमन है ।
जीवन में प्रलोभ का त्याग कर संयम का आचरण करना ही मानव जीवन का अभिष्ट होना चाहिए । पर होना चाहिए तथा होता है मैं एक बहुत बड़ा फर्क रहता है। यही फर्क मानव-जीवन की पीड़ा है, विडम्बना है । भौतिक सुखों का प्रलोभन मनुष्य को सदा ही उलझाता रहता है।
124 - अध्यात्म के झरोखे से
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