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विराम लग जाता है । कहा भी है
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मन की यात्रा बड़ी विकट है,
वही सफल है जो अपने निकट है ।
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संकल्पों विकल्पों की होड़ व्यर्थ -
स्थिर मन के समक्ष लक्ष्य प्रकट है ।
मन के वातायन को खोल दें, उसमें स्वच्छ हवाओं का प्रवेश होने दे । निरंतर अपनी सोच को ऐसे आयाम दे कि आपका सोचा हुआ सार्थक हो सके । अपनी हितचिंता के साथ ही औरों के सुख का भी मन में विचार लाये लेकिन जो भी विचार कार्य रूप में लाना चाहे उसका चिंतन अपने मन में पूरी सजगता से कर लें । मन को अवहेलित न करे, उसे अपने ही साथ चलने दें । अपने साथ लेने का अर्थ पवित्र विधायक विचारों से है। विधायक विचार विश्व में मंगल को प्रसार देते हैं । आज चारों ओर जो गडबड़ियाँ है, अशुभ अपावन विचारों के कारण है । तन के स्तर कुशलता के साथ बाह्याचार निभाने वाला साधना के क्षेत्र में लड़खड़ा जाता है। यदि वह वैचारिक स्तर पर अप्रामाणिक है । व्यक्ति मानसिक शुभ विचारों के आधार पर ही संभव है । रागद्वेष-मोह - विषमता और प्रतिशोधात्मक विचार हर स्थिति से परिहेय है । जो लोग निकृष्ट विचारों का अपने भीतर संयोजन करके चलते हैं वे सबसे स्वयं का अनिष्ट करते है । वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि से ज्यादा खतरा वैचारिक प्रदूषण से है ।
परिवार, समाज, संघ, जाति और राष्ट्र के बीच समय-समय पर उभर आने वाले क्लेशों के मूल में विकृत विचारों का विष प्रमुख है। ईर्ष्या, घृणा, द्वेषजन्य विचारों से जुड़कर हम ऊर्जा को नष्ट करते हैं यह स्पष्ट है । मन के शुभाशुभ विचारों के आधार पर ही बन्धन और मुक्ति है । बंधन और मुक्ति को बाहर में तलाशना व्यर्थ है | आंगन शुद्धि, वस्त्र प्रक्षालन, तन शुद्धि की तरह मानसिक विचारों की
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मन में, स्वच्छ हवाओं को प्रवेश दें
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