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प्रकाशकीय
अध्यात्म मानव को वो सन्मार्ग दिखाता है जिससे वह जीवनमुक्ति की ओर अग्रसर हो सकता है । जीवन का सौन्दर्य पाकर मनुष्य भव का भरपूर आनन्द उठा सकता है । जैन धर्म जीव मात्र के लिए सुख-शान्ति की चाहना करता है । 'शिवमस्तु सर्व जगतः' की उत्कृष्ट भावना के साथ मन वचन काया से प्रयत्नशील होने की प्रशस्त प्रेरणा देता है । मनुष्य जीवन के लक्ष्य को प्रगट कर चरम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति हेतु अध्यात्म मार्ग रूपी साधन हमारे सामने प्रस्तुत करता है। हर व्यक्ति इस की उपलब्धि कर सकता है। भगवान महावीरदेव के उपदेश इसी अध्यात्म को उजागर करते हैं । - परम पूज्य महान शासन प्रभावक, श्रुतोद्धारक, राष्ट्रसन्त, आचार्य प्रवर श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज श्री के श्रीमुख से निसृत जन जन को पावन करने वाली जिनवाली सचमुच में अमृतवाणी है । आचार्यश्री के जीवनीय प्रवचन आज तक हजारोंलाखों जीवों के जीवन में क्रान्तिकारी सिद्ध हुए हैं। अध्यात्म से अरुचि रखनेवाले भी आपके सरल वचनामृतों से प्रभावित हुए हैं। सिद्ध प्रवचनी के अमोघ वचन कभी निष्फल नहीं जाते इसी श्रद्धा से इस पुस्तक में पूज्य आचार्यश्री के प्रवचनों के मोती संकलित किये गये हैं।
पूज्य गणिवर्य देवेन्द्रसागरजी महाराज की एक पहचान यह है कि पूज्यश्री के प्रवचनों को आम जनता तक पहुंचाना । जिस अध्यात्म से सभी का आत्मकल्याण हो उसी का प्रचार-प्रसार करना । आपकी सत्प्रेरणा से अष्टमंगल फाउन्डेशन ट्रस्ट की स्थापना की गई। इस माध्यम से साधारण व्यक्ति को भी वही लाभ होता है । जो एक श्रीमन्त को होता है । जिनवाणी के उत्कृष्ट संपादन द्वारा अपने साहित्य की सेवा तो की ही है परन्तु जन सामान्य के लिए भी जीवनोन्नति दायक योगदान किया है।
प्रकाशकीय - 11
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