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आत्मा जो जैन अवधारणा के अनुसार परमात्मा पद तक पहुंचाने में सक्षम है । भौतिक आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति के लिए ही तो जंगल नष्ट हो रहे है, परिणाम स्वरूप पर्यावरण सन्तुलन बिगड़ रहा है । यह सुखद है कि पर्यावरण के विनय में आज जागृति आई है । विनाशक रसायनों शास्त्रों आदि के प्रति आज व्यापक चेतना दीख पड़ती है । शाकाहारी क्रांति भी हो रही है ।
यह जान लेना बड़ा जरूरी है कि वनों का संहार बड़ा घातक है । वनराशि ही कास्मिक किरणों से रक्षा प्रदान कर सकती है | वनों के कटने से ताप बढ़ जाएगा ओजोन की पर्त खण्डित हो जाएगी। ओजोन जो सूर्य की कास्मिक किरणों से रक्षा प्रदान करती है । पशु-हत्या तथा वन-विनाश के खतरों से जैन विद्वानों व समाजसेवियों ने लगातार सचेत किया है । इसीका परिणाम है कि वर्ल्ड चार्टर ऑन नेचर द्वारा परस्परोपग्रहो जीवानाम् का जैन सिद्धान्त स्वीकार किया गया है । वह एक बहुत ही श्रेष्ठ स्थिति है।
जैनों की आहारचर्या दैनंदिन की धर्म क्रियाएँ व्यवसाय में नीति सम्पन्नता की सीख आदि ऐसी बाते हैं जिनका परिपालन अगर सही रूप में हो तो वह समग्र मानवों के लिए अनुकरणीय होगा । हमारे पास ऐसी अमूल्य धरोहर है कि हम ही शान्ति और भाईचारे की स्थिति में सहायक हो सकते हैं।
पर्यावरण का अर्थ : जीवसृष्टि एवं वातावरण की पारस्परिकता – 115
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