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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दर्शन योग www.kobatirth.org [ ५६ सम्वत्वधारी ग्रात्मा को दो बड़े लाभ मिलते हैं । १. दुख में प्रदीनला और २. सुख में अलीनता । दुःख से घबराता नहीं तो सुख से प्रसन्न भी नहीं होता । समुद्र में नदियों का पानी ग्राकर गिरे और वह भर जाय तो भी बाहर नहीं छलकता और नदियों के न गिरने से भी सूखता नहीं । सम्यग्दर्शनी का जीव सागर की तरह गंभीर सभी परिस्थितियों में समान रहता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्राम का एक सघन वृक्ष था। एक बंदर उस पर कूदा । उसके हाथ में ग्राम की डाली आ गई । वह उस पर बैठकर प्राराम से पके हुए आम तोड़ तोड़कर खाने लगा। दूसरे बंदर ने भी छलांग लगाई पर उसके हाथ नीचे की छोटी डालो आई जिससे ग्राम भी छोटे छोटे मिले। एक तीसरा बंदर जो सामने ही मदारी के घर खूंटे से बँधा था, इन दोनों बंदरों को श्राम खाते देखकर रोने लगा, क्योंकि वह लाचार था, उसका जीवन पराधीन था । t सम्यग्दर्शी जीवात्मा को भोग सामग्री पर राग हो जाता है, किंतु उस राग पर भी तो राग नहीं होता। ग्राम प्रापको अवश्य अच्छा लगेगा, पर आम के प्रति प्रासक्ति तो अच्छी नहीं लगनी चाहिये । जिस व्यक्ति को ग्राम के राग पर राग नहीं है उसको आम का त्याग करते देर नहीं लगती इस संसार में भोग- सामग्री के प्रति राग तो हो जाता है, वह इतना भयंकर नहीं, किंतु उस राग के प्रति जो आसक्ति है, वह बहुत ही खतरनाक मृत्यु से नहीं डरता किंतु जन्म से डरता है, ऐसा कौन होगा ? संसार में मृत्यु से डरने वाले तो बहुत मिलेंगे, पर जन्म से डरने वाला तो कोई विरला ही मिलेगा । जन्म से डरने वाले से यदि आप पूछेंगे कि तुम कौन हो ? तो वह कहेगा मैं सम्यग्दर्शी प्रात्मा हूँ । मृत्यु से डरने वाला तो मिथ्यादृष्टि जीवात्मा है, किंतु जन्म से डरने वाला सम्यग्दर्शी जीवात्मा है वास्तव में तो जो मृत्यु से डरते हैं, उन्हें भी जन्म से डरना ही चाहिये, क्योंकि मृत्यु को लाने वाला जन्म ही है । हम जब बिजली के बटन को चालू कर के कमरे को प्रकाशित कर सकते हैं, तो उसी बटन को बंद कर के अंधेरा भी तो कर सकते हैं । इसी प्रकार मृत्यु और जन्म को हम ला भी सकते हैं और उसे रोक भी सकते हैं । For Private And Personal Use Only
SR No.008690
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size8 MB
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