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दो शब्द
पन्यासजी श्री धरणेन्द्रसागर जी म. सा. द्वारा जोधपुर चातुर्मास में दिये गये व्याख्यानों पर आधारित यह पुस्तक 'योगशास्त्र' आपके हाथ में है।
व्याख्यानों को जहाँ तक संभव हो सका महाराजश्री की बोली में ही लिखने का प्रयास किया गया है हाँ, उसे सुन्दर हिन्दी भाषा का जामा पहनाने और लोकोक्तियों एवं मुहावरों से उसे सजाने का प्रयत्न अवश्य किया गया है।
__इन व्याख्यानों में शास्त्रीय उद्धरणों के साथ-साथ कई उदाहरण और कथानों को भी गुफित किया गया है । कथानों को सहज सरल जनभाषा में लिखा गया है ताकि जन साधारण उन्हें आसानी से समझ सके ।
आशा है, पाठकों को इस पुस्तक से योग जैसे गंभीर विषय को सरलता पूर्वक समझने और कथानों के प्रानन्द-सागर में हिलोरें लेने जैसा रस प्राप्त होगा।
10/595 नन्दनवन जोधपुर 2-11-1987
लालचंद्र जैन 'सिद्धांत विशारद
संपादक
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