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योगशास्त्र
तुझे मकान, कपड़ा, भोजन सभी कुछ दूंगा । मौज शौक से रहना।" बीमार बेचारा दुविधा में पड़ गया। सेठ के साथ जाऊँ या वैद्य के साथ जाऊं।
आपके सामने भी यही प्रश्न है । प्रिय श्रोताओं ! प्रात: नौ से दस बजे का समय प्रवचन का है और यही समय ग्राफिस जाने तथा दुकान खोलने का है। आपने भी कुछ निश्चय किया है या नहीं ? भव-रोग हारिणी योग शास्त्रवाणी सुननी है या मात्र पैसा कमाना है ? यदि निर्णय न किया हो तो घर के अन्य सदस्यों से परामर्श कर निर्णय कर लेवें ।
योगशास्त्र की रचना के साधन श्रुतां मोघेरधिगम्य सम्प्रदायाच्च सद्गुरोः । स्वसंवेदनतश्चापि योगशास्त्रं विरच्यते ।।१-४।।
श्रुत रूपी समुद्र में से, सद्गुरु के संप्रदाय से और अपने स्वयं के अनुभव से इस योगशास्त्र की रचना कर रहा हूं।
श्रुतसिन्धोगुरुमुखतो यदधिगतं तदहि दर्शितं सम्यक् । अनुभवसिद्धमिदानी प्रकाश्यते तत्त्वमिमखिलम् ।।१२-१।।
श्रुत रूपी समुद्र में से और गुरु के मुह से मैंने जो कुछ सुना और समझा है, उसे मैंने यहां सम्यक् प्रकार से प्रस्तुत किया है । मुझे अपने स्वयं के अनुभव से जो कुछ सिद्धि प्राप्त हुई है, उस सारे तत्त्व को अब मैं यहां प्रकट करता हूँ।
प्राचार्य हेमचन्द्रसूरि ने योगशास्त्र की रचना में कारण भूत तीन साधनों को बताया है-१. शास्त्र, २. सद्गुरु की वाणी और ३. प्रात्मानुभव । इस प्रकार हेमचन्द्राचार्य महाराज ११ वें प्रकाश तक शास्त्र और परंपरा के प्रमाण से योग की व्याख्या करते हैं। फिर १२ वें प्रकाश में अपने अनुभव की वाणी द्वारा प्रकट करते हैं ।
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