SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योगशास्त्र जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है । मन, वचन और काय के योगों को मर्यादित करने से अहिंसा का पालन होता है । अत: जैन धर्म योगप्रधान धर्म भी है । किन्तु अफसोस है कि इसका प्रचार जितनी प्रचुर मात्रा में होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा है। इसका कारण यह है कि हममें से कई लोगों की यह गलत धारणा बनी हुई है कि तपोवन में रहने वाले तपस्वी ही योग का पालन कर सकते हैं या भगवा वस्त्रधारी साधु ही योग का पालन कर सकते हैं, अथवा शरीर पर राख मल कर बाबा बने साधु ही योग का पालन करते होंगे, हमको योग से क्या लेना देना है ? कुछ भी नहीं । यह हमारा भ्रम मात्र है, जिसे दूर करना चाहिए । आयुर्वेद को चतुर्व्यूह कहा जाता है, क्योंकि उसमें रोग, रोग के कारण, आरोग्य और रोग निवृत्ति के उपाय बताये गये हैं । इसी प्रकार योगशास्त्र में भी ससार, संसार का कारण, केवल ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति के उपायों का स्वरूप समझाया गया है। योग विद्या का मुख्य प्रयास इस विषय पर केन्द्रित है कि मन की वृत्तियों को कैसे जीता जाय । योगशास्त्र अपूर्व सिद्धि का शास्त्र है । मेरु गाचार्य ने प्रबन्ध चिंतामणि में वामराशि प्रबन्ध में योगशास्त्र की प्रशंसा की है। कुमार पाल ने वामराशि की आजीविका वृत्ति को हेमचद्रसूरि के प्रति असभ्य वचन बोलने के कारण बन्द कर दिया था । फिर वह वामराशि विप्र एक एक दाने के लिए मोहताज हो गया। भीख माँगकर पेट भरता और हेमचन्द्रसूरि की पौषधशाला के बाहर पड़ा रहता था । श्रनेक राजा, महाराजानों, सेठों, सेनापतियों के मुह से उच्चारित योगशास्त्र की महिमा को सुनकर वह वामराशि बोला श्रातंक कारणमकारण दारुरणांत, वक्रेण गंरेल निरगालियेषाम् । तेषां जटाधर फटाघर मण्डलानां, श्रीयोगशास्त्र वचनामृतमुज्जिहीते । १ । जिन लोगों के मुंह से निष्कारण गाली रूपी भयानक विष For Private And Personal Use Only
SR No.008690
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy