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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १२६ वीर्य व्रत चोरी का माल बार बार नहीं मिलता, तब प्राप चोरों को प्रेरणा देते हैं, "अरे निकम्मे क्यों बैठे हो ? जाओ कुछ माल पानी लाओ ।" यदि वे पकड़े जाने का भय दिखाते हैं तो आप साहस बंधाते हैं, "क्यों चिंता करते हो ? तुम्हारे परिवार का पालन मैं करूंगा। आवश्यकता हो तो अग्रिम धन ले जाओ, हिसाब में चुकता हो जायेगा ।" इससे तस्कर प्रयोग नामक दूसरा अतिचार लगा। दो राजाओं का परस्पर युद्ध हुआ । पाँच मील के फासले पर दोनों सेनाम्रों के शिविर थे । एक राजा के पास अधिक अन्न भंडार था, दूसरे के पास समाप्त सा हो गया था। पहले राजा ने विराधी राजा को रोशन पहुँचाना निषिद्ध कर दिया था। फिर भी किसी ने धन के लोभ से गुप्त रीति से शत्रु को राशन पहुँचाया, यह विरुद्ध राज्यातिक्रम नामक तीसरा दोष लगा । किसी गाँव में एक व्यापारी रहता था, प्रतिदिन प्रवचन सुनता था । जी हाँ, जी हाँ कहता था । एक भेड़ पालक सेठ की दूकान पर गुड़ लेने गया । सेठ ने ५ कीलो के स्थान पर ४ ।। कीलो गुड़ तौल दिया । भेड़ पालक ने अपने घर ले जाकर गुड़ को तौला तो ४॥ किलो ही निकला । भेड़ पालक एक भेड़ को छुपाकर व्याख्यान में ले गया । जब सेठ जी हाँ कहता, भेड़ पालक भेड़ के पेट को दबाता और वह बें बें करती । लोगों ने कहा, "यह क्या बें बें मचा रखी है ?" भेड़ पालक बोला, "महाराज सेठजी की 'जी हाँ' और भेड़ की बें बें' एक बराबर ही है क्योंकि ये दोनों ही नहीं समझते कि वे क्या बोल रहे हैं । आपके सामने जो सेठ जी हाँ कहे और दूकान पर कम तोले, उसकी जी हाँ का क्या अर्थ है ?" यह कूट तौल, कूट माप का चौथा अतिचार है । धनिये में घोड़े की लीद मिलाना, मिर्च में इंट पीस कर मिलाना आदि मिलावट का धंधा करने से तत्प्रतिरूपक व्यवहार नामक प्रतिचार लगता है । सुबाहु कुमार ने विचारा कि चौदह राजू लोक में रहे हुए सभी जीवों को अभय देऊ । उसने एक बड़ा तंबू बनाया, उसके चारों तरफ चारों कोनो में चार बाँस गाडे । एक बाँस बीच में लगाया । बाँसों के ऊपर चद्दर लगादी। पाँच बाँस के चारों तरफ २७ कीलें गाड दी। तंबू For Private And Personal Use Only
SR No.008690
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size8 MB
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