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सीमंधर
पुखलाइ
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परमात्मा, विजये
(१३)
दाता;
शिव सुखना जयो, सर्व जीवना त्राता.
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पूर्व
विदेहे पुंडरीगिणी, नयरीए सोहे
श्री श्रेयांस राजा तिहां, भवियणना मन मोहे.
चौद सुपन निर्मळ ल्ही, सत्यकी राणी मात; कुंथु अरजिन अंतरे, श्री सीमन्धर जात. अनुक्रमे प्रभु जनमिया, वळी यौवन पावे; माता पिता हरखे करी, रुकमिणी परणावे. ४
भोगवी सुख संसारना, संजम मन लावे; मुनिसुव्रत नमि अंतरे, दीक्षा प्रभु पावे.
घाति कर्मनो क्षय करी, पाम्या केवनाण; वृषभ लंछने शोभता, सर्व भावना
उदय पेढालजिन अंतरे ए, जसविजय गुरु प्रणमतां,
चोराशि जस गणधरा, मुनिवर अॅकसी कोड; त्रण भुवनमां जोवतां, नहि कोई एहनी जोड. दश लाख कह्यां केवळी, एक समय ण काळनां,
जाण.
प्रभुजीना परिवार; जाणे सर्व विचार.
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थाशे जिनवर सिद्ध; शुभ वंछित फळ लीध.
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