________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पछी "जय बीयराय" सुत्र बोली उभा थइने 'अरिहंत चेइयाण' तथा अन्नत्थ" सूत्र बोली" एक नवकारनो काउसमा करी "नमो अरिहंताणं बोली काउसग्ग पारोने 'नमोऽहत्' कही निम्न लिखित स्तुति वोलवी :
सो क्रोड साधु साधवी सो क्रोड जाण, ऐसे परिवारे सीमन्धर भगवान दश लाख थया केवळी प्रभुजीनो परिवार,
वाचक यश वन्दे नित्य नित्य वार हजार ॥१॥ खासमण दइ इच्छकारि भगवन् ! पसायं किच्चा पञ्चकखाण करावेह !
पूज्य गुरुमहाराजश्री होय तो तेमनी पासे अथवा वडील क्रियाकारक पासे उपवास आयम्बिल अथवा एकासणानु पच्चा खाण करो निम्नलिखित स्तुतिओ वोलवी :
__ चतारि मंगल 'अरिहता मंगलं' 'सिद्वामंगलं' 'साहमंगलं' 'केवलीपण्णत्तो धम्मो मंगलं'
चचारि लोगुत्तमा 'अरिहंता लोगुत्तमा' 'सिद्धा लोगुत्तमा' 'साहू लोगुसमा' 'केवलीपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमो.'
For Private And Personal Use Only