________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
(स्तुति)
सकल - कुशल- वल्लि पुष्करावर्त - मेघो दुश्ति-तिमिर-भानुः कल्पवृक्षोपमानः भवजलनिधिपोतः सर्व संपत्ति-हेतुः स भवतु सततं वः श्रेयसे शान्तिनाथः
(चैत्यवन्दन)
१
श्री सीमन्धर जगधणी, आ भरते करुणावन्त करुणा करी, अमने
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पर्षदा बेठी
सहु सहुना
श्रेयसे पार्श्वनाथः ।
आवो; बन्दावो.
सकळ भक्त तुमे धणी, जो होवो अम नाथ; भवोभव हुंछु ताहरो, नहि मेलुं हवे साथ सयल संग छोडी करी, संग छांडी करी, चारित्र लइशु; पाय तुमारा सेविने, शिव रमणी वरशुं ३ ए अळजो मुजने घणोए, पूरो सीमन्धर देव. इहां थकी हुं विनवु, अवधारो मुज सेव. ४ कर जोडीने विनवु, सामो रही ईशान, भाव जिनेश्वर भागने, देजो समकित दान.
१
२
समवरणे विराजता, श्री सीमन्धरस्वाभी, मधुर ध्वनि दिये देशना वाणी सुधा समाणी. १ सांभळे वाणीनो विस्तार
मनमा
था आनंद हर्ष अपार.
For Private And Personal Use Only
१३