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॥ श्री कुम्भ विसर्जन विधिः ॥ उपर्युक्त मंत्रोच्चार करवापूर्वक वामक्षेप करीने कुम्भ विसर्जन करवो.
॥ श्री अखंड दीपक विसर्जन विधिः ॥ "ॐ विसर विसर स्वस्थान गच्छ गच्छ स्वाहा”
थाळी गाडधी, उपर्युक्त मन्त्रोच्चार करवा पूर्वक वासक्षेप करीने श्री अखंड दीपक विसर्जन करवो.
अनन्तानन्तपरमतारकदेवाधिदेवश्रीनी तारकनिश्रामा परमपूज्यपाद गुरुमहाराजश्रीनो सुयोग होय तो तेओश्रीनी उपस्थितिमा चैत्यवन्दनादि समुदायिक क्रिया करवी. प. पू गुरुमहाराजश्रीनो योग न होय तो व्रतधारी सुश्रावक क्रिया करावे.
चतुर्थ दिने अत्युल्लसितभावे उत्तम फळ नैवेद्यादि सामग्री पूर्वक परमतारक श्री वीश विहरमाननी पूजा भणावधी.
॥ आराधन विधिक्रम । १. परम तारकश्रीनी स्तुति २. सामुदायिक चैत्यवंदन ३. त्रण टंक देववंदन ४. बे टंक प्रतिक्रमण ५. पार साथिया ६. दुहा बोली वार खमासमण ७. संपूर्ण चार लोग्गसनो काउसग्ग
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