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॥ अथ श्री घृतमन्त्रः ॥
घृतमायुर्वृद्धिकरं भवति पर जैन दृष्टिसम्पर्कात् । सत्संयुक्तः प्रदोपः, पातु सदा भाव दुःखेभ्यः स्वाहा ॥१॥
थाळी वगाढवी. निम्नलिखित श्री दीपक प्रगटाववानो मंत्र त्रण वार भणोने दीप प्रगटाववो.
॥ अथ श्री दीपक प्रगटाववानो मन्त्रः ॥ ॐ अहँ पञ्चज्ञानमहाज्योतिर्मयोऽयं ध्वान्तघातने । द्योतनाय प्रतिमाया दीपो भूयात् सदाऽर्हते स्वाहा ॥१॥ ... श्री कुम्भनी जमणी बाजुऐ श्री दीपक स्थापनना स्थाने फरेल कंकुनो स्वस्तिक उपर दीपक स्थापन करवो. परमपूज्यपाद गुरु महाराज निम्नलिखित मन्त्र बोलीने दीपक उपर वासक्षेप करे, ए रीते मन्त्र गणवापूर्वक त्रण वार वासक्षेप करे.
॥ श्री अग्नि शुद्धि मन्त्रः ॥
ॐ अग्नयोऽग्निकाया एकेन्द्रिया जीया निरवद्याईरपूजायां नियंथाः सन्तु, निष्पापाः सन्तु, निरपायाः सन्तु, सद्गतयः -सन्तु, नमेऽस्तु संघट्टन हिंसा पापमहदर्चने स्वाहा ।
॥ इति श्री दीपकस्थापन विधिः ॥
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