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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org MARADITIONALININD नरय तिरिय मणु देवनी, गति रयारइ वडी पोली रे. ते करी चहुटानी ओलि रे. असुभासन परिणाम रे, कुबुद्धि कुइ ठाम रे. " कामासन अयसी रयार जे, मंदिर मोटां तिहां लहयां, भूरि भवंतर सरडी, कुड विषय व्यापति आराम तो मचता पादूनी देवी रे, तिहां कयु, ममता पालि कवेवी रे. अविचारिआ, राजा महामोह नाम तेहनी, जेठो सुत तसु लहू अठा, मिथ्या दरसन मंत्री कुमत सरोवर तिहा जन वसइ दूर मतिराणी काम रागद्वेष सुत आक कारण राणो राणि मिली, मारि अप्रति निंदा पुत्री रे, क्रोध नइ मान दंभ लोभ मिली, च्यार महीधर थापइ रे, सात व्यसन सातई अंग कर्या निर्गुण सभा दुरित सिंहासन तेहनु, अमरख धरइ तनुं व्यापरे. सिरि छत्ररे, रति नई अरति यामर चामर धरई, कोल कमत बाल मित्ररे. पुरोहित छद्म सेल्होत ते, मद परमादत लाह रे, पर परिवाद फेरा आलस दलपति तेहनु परिग्रह सकल भंडार भर्यो, उवो, साल कर्यो हास सोक दो, थई घर अभिनव ईम रे आरणि उलव्यो रे, तेणि पुर मोह Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीधो कीधो १९१ For Private And Personal Use Only 41 पाखंडी परिहार कुकवी सुआर कलि कंदल ते कोठार रे. वेश रे, नरेश रे. ·9
SR No.008679
Book TitleUd Jare Panchi Mahavideh Mai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherSimandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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