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१६९ (७७) महीलि महिमावंतए, मंगळ आराम वसंत ए, केवळ कमळा कंत ए, मन मोहन रूप महंत ऐ. १ विहरमान अरिहंत ए, 'श्री सीमंधर' भगवंत ए, तुम गुण अछे अनंत ए पण केम कहुं मन खंतए. २ जंबूद्वीप मझार ए, श्री पूर्व विदेह उदार ए, विजयतिहां 'पुखलावती ए' राजे जन भावती ए. ३ नयरी तिहां 'पुंडरीकिणी ओ,
जिणे ऋद्वे अलका अवगणीए, राजा तिहां 'श्रेयांस' ए,
सोहे निजकुळ अवतंस ए. ४ तसु घर गजगति गामिमी ए,
'सत्यकी' नामे वर कामिनी ए, अवतर्या प्रभु तसु तणी ए,
कुंख मन वंछित सुरमणि ए. ५ 'कुंथुनाम-अर' अंतरे ए,
जिन थया सुर ओच्छव करे ए, धवल बोजे जिम चंदु ए,
प्रभु वाधे सोहग कंदु ए. ६ मनहर जोवन वय धरी ए,
प्रभु परणे 'रुकमणी' नारी ए, माणे राज विलास ए,
पूरे सवि सेवक आश ए. ७
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