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स्मारिका स्वरूप प्रकाशित करवाई जा रही है ! और इसी कारण इसका नामकरण "उडजा रे पंछी महाविदेह में रखा गया है ।
अतः शासनदेव से कर वह प्रार्थना है कि दिवंगत साध्वी जी श्री संपतजी को आत्मा महाविदेहक्षेत्र में जल लेकर श्री सीमंधर स्वामी के पास चारित्र ग्रहण कर अनुक्रम से मोक्षमाग की आराधक बनी ।
___ यह भी शुभ कामना है कि पुस्तक का पठन-पाठन करनेवाले श्रद्धालु भविक जीव इसका अधिकाधिक लाभ प्राप्त कर अपने जीवन को कृतार्थ करे ।
अक्षयतृतीया दि० २ अप्रिल, १९७९
प्रो. अमृतलाल गांधी
अध्यक्ष श्री मेरुनाग पार्श्वनाथ जैन तीच
जोधपुर
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