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जप तप संजम बहु करी, पाम्या केवळनाण हो; भविक जीव प्रतिबोधवा अभिनव ऊग्यो भाण हो. अवधारो० ६
ईम मन थाय भला पंखीया, जाय मन बाहु ठामे होय पांखडी, हुं आवु
धन धन लोक ते देशना, तेहना पुण्य अपार हो; सांभळे वाणी जे जिन तणी, जेहवी अमृत धार हो; अवधारो ० वहालो मारो विदेहे जई रह्यो, हुं वसु भरत मोझार हो; मन तणी वात केने कहुं, तुम समो कोण आधार हो. अवधारो •
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वंछित देश हो;
तिण
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देश हो. अवधारो० ९
आडा डुंगर नदी घणी, ओडा घणा खेत्रना वास हो; किम मिले स्वामी सोहामणा, जे गुण तणा निवास हो. अवधारो० १०
विनति अह अवधारजा, जिम सरे सेवक काज हो; दरिसण देजो मया करी, विनवे मुनि मेघराज हो.
सेवक सामुं, जिन जाईए दूर वसंतडां वास हो; मत जाणो जिन तुमे विसर्या, मन मारु जिनजीनी पास हो. अवधारो ० ११
अवधारो० १२