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(६६) श्री सीमंधर मुज मन स्वामी, तुमे साचा छो शिवपुर गामी,
के चन्दा तुमे जईने कहेजा. १ कहेजो के एक वार साहिबा तुमे आवो,
हारे मिथ्यात्वने घणु समजावो, के चन्दा० २ कहेजो मारा व्हालाने कहेजो सीमंधरस्वामिने
तुमे भरतक्षेत्र अहीं आवो, के चन्दा० ३. मनडु ते मारूं तुम पासे छे,
सदा चरणे चित्त चाहुं, के चन्दा० ४ जिहां ते जिनजीना वृक्षज दिशे,
जिनना गुण गावाने मन हरखे, के चन्दा० ५ भरतक्षेत्रना जे भवि प्राणी,
जिननी वाणी सुण्यानी खाणी, के धन्दा० ६ महाविदेह क्षेत्रना जे भवि प्राणी,
नित्य सुणे छे तुमची वाणी, के चन्दा० ७ अनुभव अमृत भरीने लेज्यो,
- चन्दा रती एक दर्शन देज्यो, के चन्दा० ८ जो जिननी वाणी क्षेत्र ज लइए,
तो चन्दा अमे तमनेसेना कहीओ, के चन्दा० ९ तस पद पंकज जिनविजयना,
चन्दा नयने जावानी घणी होश, के चन्दा. १० वाचकजभ कीर्तिविजयना शिष्य,
निर्मळ बुद्धि जगीश, के चन्दा० ११ कहेजो मारा व्हालाने, कहेजो सीमंधरस्वामिने,
तुमे भरतक्षेत्रमा आवो, के चन्दा० १२
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