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(देशी-वासुपूज्यविजयविलासो चंपाना वासी) श्री सीमंधरस्वामि, मुक्तिगामी दीठे परमानंद प्रभु सुमति आपो, कुमति कापो, टाळो भवभयफंद कर्म अरिंगण दूर करीने तोडो भवतरु कंदरे. श्री सी० १ चोत्रीश अतिशय राजतारे, पांत्रीशवाणी रसाळ, आठ प्रतिहार्य दीपतां रे, बेठी छे पर्षदाबार रे. श्री सी० २ एक वार दरिसण दीजीये रे, दासनी सुणी अरदास, गुण अवगुण न लेखवे रे गिरुआनो आधार रे. श्री सी० ३ महागोप महामाहण करीने, निर्यामक सार्थवाह, दोष अढार दूर करीने, अवजल तारण नाव रे. श्री सी० ४ अगणित शंकाए हु भर्यो रे, कोण करे तस द्र, ज्ञानी तुमे दूरे वस्या रे, हुं पडयो भवकूप रे. श्री सो० ५. जो होवत मुज पांखडी तो, आवत आप हजूर, ए लब्धि मुज सांपडे तो, न रहुं तुम थकी दूर रे. श्री सी० ६ शासन भक्त जे सुरिवरा रे विनवु शीर्ष नमाय, श्री सीमंधरस्वामिना रे, चरण कमल भेटाय रे, श्री सी०७ धन्य महाविदेहना जीवने रे, जे सदा रहे तुम पास, हुं निर्भागी भरते रह्यो रे, शां कीधां में पाप रे ? श्री सी ८ अरिहंत पद सेव्या थकी रे, देवपालादिक सिद्ध, हुँ पण मांगु एटलु रे, सौभाग्य पद समऋद्ध रे. श्री सी० ९
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