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(२४) श्री सीमंधर साहिबा,
विनतडी अवधार लाल रे; परम पुरुष परमेश्वर,
आतम परम आधार लाल रे. श्री० १ केवळ ज्ञान दिवाकरु,
भांगे सादि अनंत लाल रे; भासक लोकालोकनो,
गायक गेय अनंत लाल रे; श्री० २ इन्द्र चन्द्र चक्रीश्वक,
सुर नर रहे कर जोड लाल रे; पद पंकज सेवे सदा,
अणहूता इक क्रोड लाल रे; श्री० ३ चरण कमळ पिंजर वसे,
मुज मन हंस नित मेव लाल रे चरण शरण मोहे आशरो,
भव भव देवाधिदेव लाल रे. श्री० ४ अधम उद्धारण जो तुमे,
दूर हरो भव दुःख लाल रे; कहे जिनहर्ष मया करी,
देजो अविचल सुख लाल रे. श्री. ५
ॐ0
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