________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तयाबिन्दुः
(७९) २२६ भाषणाभिप्राय सामग्री परिणाम वक्ता वागद्रव्यने ग्रहेछे, मुके
छे, नान्यथा, भाषाद्रव्य मूक्या छतां चउदराजलोकमां व्याप्त थाय छे. चार समयमां कोई संबंधी भाषावडे चउद रोजलोक व्याप्त थायछे. मंद प्रयत्नवालो पुरुष अखंडित सकल भाषाद्रव्योने मूके छे, अन्य निरोगी तीव्र प्रयत्नवालो वक्ता आदान निसर्गवडे भाषाद्रव्यने खंडखंड करी मूकेछे. तेथी तोत्र प्रयत्नवाळो वक्ता चउद राजलोकमां भाषाद्रव्य व्याप्त करेछे. मंद प्रयत्नवाळा वक्ताथी नीकलां अखंड भाषाद्रव्य संख्याता योजन जइ शब्दपरिणामनो त्याग करेछे. अने जे महा प्रयत्न वक्ताछे ते तो प्रथम भिन्न खंड करी भाषाद्रव्यने कादेछे. ते अनन्त गुण वर्धमान पददिशामा लोकांत व्याप्त थायछे.
२२७ केवली समुद्घात क्रमनी पेठे चार समयवडे चउद राज
लोक भाषाद्रव्यवडे व्याप्त थायछे. के.टलाक भाषाद्रव्यवडे त्रण समयमां लोक पूर्णता मानेछ. त्रसनाडीनी बहार विदिशाथी भाषक, भाषाद्रव्यने मूके तो चतुर्दश राजलोक पूरणमा पंचसमय लागे. त्रस नाडीनी बहार दिशामां स्थितवक्ता भापाद्रव्य मूके तो चार समयमां लोक पूर्णता थाय.
२२८ अचित्त महा पुद्गल स्कंध होय अने ते केवल विश्रसा परि
णाम वालो होय छे. तेने चउद राम लोकनी व्याप्तिमा चार
For Private And Personal Use Only