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वसविन्दु
कथित अभिप्राय थायछे. तेने शब्दनय कहेछे. शन्दनयमां शब्दनयनी मुख्यताछे. अने अर्थनी गौणताछे. शब्दनयनी उत्पत्तिमा मुख्यताए निमित्तता नथी.
१५८ शब्द अने समभिरुढ एबे नय सविकल्पकले. अने एवंभूत
निर्विकल्पकछे. अपेक्षाए इति सम्मतितर्क द्वितीयकांडे पत्र ४७
१५९ अर्थनयमा आधनी प्रणभंगी निर्विकल्प अने द्रव्यार्थिकनय
स्वरूप बतावीछे. अने आगळनी चार पर्यायार्थिकनय स्वरूप बतादीछे. शब्दनयमां सविकल्पक शब्द अने समभिरूढनयछे तेनो अन्तर्भाव प्रथमभंगीमां थायछे. तेथी अभेदपणाथी प्रथम भंगी पण सविकल्पक थइ. अने पहेला अर्थनयमां निर्विकल्पक कही हती. तेनुं शुं कारण. उत्तर. अर्थनयनी अपेक्षाए आधभंगी निर्विकल्पकछे. अने शब्दनयमां शब्द अने समभिरूढनयनी अपेक्षाए सविकल्पकछे.
१६० अन्दनयमां त्रीजी भंगी घटती नथी. श्रोत्रेन्द्रियजन्यज्ञानरूप
शन्दनयछे. अने शब्दनयछे ते शब्दना श्रवणथी अर्थने स्वी
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