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( १८४ )
तव विन्दु.
नजवोजोइए; पण उंचोउछळेछेमाटे एकांते गुरुता अधोगति कारणनथी. तेमज लघुता एकांत ऊर्ध्वगतिकारणनथी.
ते की जणावे छे.
विरियं गुरुलहुयाणं, जहाहियं गइविवज्जयं कुणइ || तहगइ दिइ परिणामो, गुरुलहुयाओ बिलंघेइ ||१||
यथोक्त न्यायवडे देवादिगत वीर्य गुरुलघु वस्तुओना गमननो विपर्यय करेछे. देवता पर्वतने उंचो उछालेछे. बाप्प उंची जती होयछे तोपण करताडनादि वीर्यथी नीची जायछे. ते माटे एकांते अधोगति निबंधन गुरुता नयो. तेमज ऊर्ध्वगति निबंधन लघुता नथी. तो शामाटे अधोगत्यादि सिद्धिअ गुरुलघुआदि चतुष्टय मानवा जोइए ? अर्थात् न मानवा जोड़ए. माटे आज परिभाषा युक्तिमतीछे. बादरवस्तु गुरुलघुळे. अने शेष सूक्ष्मवस्तु अने अमूर्त सर्ववस्तु अगुरुलघुछे. इति निश्चयनय
कथनम्.
६१६ मनोवर्गणाने देखतो छतो अवधिज्ञानी क्षेत्रथी लोकना संख्यातमा भागने देखे. कालथी पल्योपमना संख्यातमा भागने देखे. कर्मवणा द्रव्यने देखतो छतो अवधिज्ञानी क्षेत्रयी लोकना संख्यातमा भागोने देखे. अने कालथी पल्योपमना संख्यात भागोने देखे. (वि)
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