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(१८०)
तत्वविन्दुः ६०६ तेरमासंयोगी गुणस्थानकमां मूलहेतु एक अने उत्तरहेतु पांच
अथवा सात. वे वचनना बे मनना अने एक औदारिकयोग. एवं पांचयोग जाणवा. समुद्घातनी अपेक्षाए औदारिकमिश्र अने कार्मण वधे त्यारे सातयोग, चउदमा अयोगी गुणस्था. नकमा एकपण कर्मबंध हेतु नथी.
६०७ औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, भाषा, श्वासोश्वास, मनो
वर्गणा, अने कार्मणवर्गणा ए आठ प्रकारनी वर्गणाछे.
६०८ द्रव्य क्षेत्र काल अने भावथी वर्गणाना चार प्रकारछे तेनुं
विशेषावश्यक पत्र १९० थी स्पष्ट स्वरूप दर्शाव्युछे.
६०९ तैजस अने भाषाद्रव्यना आंतरामा गुरुलघु पर्याय विशिष्ट
अने अगुरु लघुपर्याय विशिष्ट पुद्गल द्रव्यछे. तैजस आसन्न गुरुलघु द्रव्यछे, अने भाषा आसन्न अगुरुलघु द्रव्यछे.
६१० औदारिक, वैक्रिय, आहारक, अने तैजस द्रव्यो तथा तदाभास
अपर सर्व द्रव्यो, बादर अने गुरुलघु स्वभाववाळांछे.
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