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तत्वबिन्दुः
(1 ) मानेछे ते असत्यछे. भगवतीमा पर्यायास्तिकनी अपेक्षाए परमाणु अनित्यछे एम स्पष्ट कहूंछे.
५३१ कुकडानी शिखा सचित्तछे,अने मयुरनी शिखा मिश्रछे. आ
चारांग वृत्ति द्वितीयश्रुतस्कंध पीठिकामां कडंछे. सचित्ता कुकुटस्य, मिश्रा मयुरस्य.
५३२ परमाधार्मिक देवताओ भव्यछे, एम प्रश्नोत्तर सार्धशतकमां
लख्युछे. हीरप्रश्नमां परमाधार्मिक देवताओ भव्यछे एवो प्रघोष असत्य कह्योछे. (प्र. सा)
५३. निश्चयनयमतवडे बारमा गुणस्थानकना अंत्य समये केवलो.
त्पत्ति अने चउदमा गुणस्थानकना अंत्य समये सिद्धत्व जा. णवू. व्यवहारनय मतवडे तो तेना अनंतर समयमा उभय पण जाणवां. (प्र. सा)
५३४ सम्यक्त्वथी भ्रष्ट थतां जेओनो अनंत काल गयोछे तेओमां
१०८ एकशो आठ, एक समयमां सिद्धि वरे. संख्यात काल पतित अने असंख्यात काल पतितोमां एक समयमां दश,
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