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तत्वबिन्दुः केवलज्ञान थतां चउदपूर्वश्रुतनो नाश थायछे. कोई ग्लान तथा पमाददशाथी पण चतुर्दश पूर्वरूप श्रुतज्ञानथी पडेछे (वि. पत्र १६७)
प्रश्नोत्तर सार्धशतक. ५२२ तीर्थकर भगवान् दीक्षा लेती वखते सिद्धोने नमस्कार करे.
उक्तंच आचारांगसूत्र द्वितीयश्रुतस्कंध पष्ठाध्ययनेसओणं से महावीरे पंचमुठियं लोयं करेत्ता सिद्धाण नमोकारं करेइ ॥
५२३ केवलीने वेदनीयादिशेष चार कर्मछे ते जीर्ण वस्त्र पाय जाणवां.
५२४ एकावतारी देवोने च्यवनचिन्ह प्रगट थतां नथी.
५२५ अगियारमा, बारमा अने तेरमा गुणस्थानकवर्ति मुनियो, प्र
कृतिथी शाता वेदनीय बांधेछे. अकषायत्वथी स्थितिना अअभावे बध्यमानज परिशाटन करेछे. अनुभावथी अनुत्तरोप पातिक सुखातिशायीछे, प्रदेशथी स्थूल रुक्ष शुक्लादि बहु प्रदेशविशिष्ट कर्मने बांधेछे.
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