________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(१४ )
तत्वविन्दुः तानारोहणादि लक्षणरूप ज्ञानावरणीय अल्प क्षयोपशमयी उठेली ओघसंज्ञा जाणवी. क्षमादि आसेवनरूप मोहनीय क्षयोपशमथी धर्मसंज्ञा प्रगटेछे.
४७२ अर्ध पुद्गल परावर्तनकालमा क्षयोपशम समकित उत्कृतः एक
जीवने असंख्यातवार आवे.
४७३ सास्वादन गुणस्थानकनो जघन्य काल एक समयछे.अने उत्कृष्ट
छ आवलिकानो कालछे.
४७४ नैश्चयिक अर्थावग्रह एक समयनोछे अने व्यवहारिक अर्थावग्र.
हनो काल अन्तर्मुहूर्तछे. बहु बहुविध आदि बारभेदनो समास व्यवहारिक अर्थावग्रहमां थायछे. (वि)
४७५ तीर्थंकरो विना बाकीना जीवो पण अवधिज्ञानसह माताना
उदरमा उत्पन्न थाय.
For Private And Personal Use Only