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तस्वविन्दुः
व्यवहारिक अर्थावग्रहनो अन्तामुहूर्त काल जाणवो. स्पृष्ट ( स्पर्शलां) मात्र शब्द द्रव्योने श्रोतेन्द्रिय ग्रहण करेछे.
घ्राणेन्द्रिय गंधनां पुद्गलोने ग्रहण करेछे. रसनेन्द्रिय रसना पुद्गलोने ग्रहण करेछे. स्पर्शेन्द्रिय स्पर्शनां पुद्गलोने ग्रहण करेछे. चक्षु अने मन अप्राप्यकारीछे.
२७५ आत्मांगुल, उत्सेधांगुल अने प्रमाणांगुल. ए त्रण प्रकारना
अंगुलछे.
२७६ आत्मांगुलथी इन्द्रियोन विषय परिमाग जागवं. स्पर्शेन्द्रियर्नु
मान उत्सेधांगुलथी जाणवू. बाकीनी इन्द्रियोनुं मान आत्मांगुलथी जाणवू.
२७७ मेघगर्जितादि शब्दोने श्रोतेन्द्रिय उत्कृष्टतः बार योजनधी
ग्रहण करेछे. घाणेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, स्पर्शनेन्द्रिय आ त्रग इन्द्रियो अनुक्रमे
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