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मय पंचसप्तति (७५) ग्रन्थकारक प्रातःस्मरणीय पूज्यपाद तपोगच्छाधिराज आचार्य वर्य श्री १००८ योगनिष्ठ श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराजना सदुपदेशथी अहीयांना सुप्रसिद्ध श्री मन्महावीर जिनेश्वर देवना भव्य देरासरजीनी महामे गोधावीना श्री संघे नवीन बंधावेला गौतम स्वामीना चैत्यमां शा. अमृतलाल केवळदास तरफथी श्री महावीर प्रभुना अखिललब्धि संपन्न प्रथम गणधर श्रीगौतम स्वामिनी प्रतिष्ठा (अंजन शलाका) तथा स्थापना करवानी छे. . __ आ शुभ प्रसंगे चरमजिनराज शासनाधिपति श्रीमन्महावीरमभुना देरासरजीमां श्रीशांतिनाथ भगवान् तथा श्रीपार्श्वनाथ भगवाननी प्रतिष्ठा करवानी छे. तेमज पूज्यपाद प्रात:स्मरणीय क्रीयोद्धारक जगद्विख्यात श्रीमद् रविसागरजी महाराजनी चरणपादुका प्रतिष्ठा तथा चारित्र चूडामणि क्रियायोगी गच्छाधिपति सद्गुरु श्रीमत् सुखसागरजी महाराजश्रीनी. चरणपादुका प्रतिष्ठा तेमज यक्षयक्षिणी विगेरेनी प्रतिष्ठा करवानी छे. माटे आ महामांगलिक प्रसंगे नीचे प्रमाणे मुहूर्तों निर्धारवामां आव्यां छे. वैशाख वदि ११ गुरुवारे कुंभ तथा दीप स्थापना अने बिंबप्रवेश
तेमज ते दिवसे सत्तरभेदी पूजा भणा
ववामां आवशे. ,, १२ शुक्रवारे नवपदजीनी पूजा भणाववामां आवशे.
, १३ शनिवारे विशस्थानकनी पूजा भणाववामां आवशे. ,, १४ रविवारे पंचपरमेष्ठिनी पूजा भणाववामां आवशे. "" ०) सोमवारे बारव्रतनी पूजा.
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