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गणाधीशान परमप्रभाविनः सद्गुरूंच प्रणिपत्य समस्तानन्द महामणि मण्डिते संसारसागर तरण्डायमान मानातीत जिनालयोपाश्रयधर्मशालादि धार्मिक धाम विराजिते तत्त्वोपदेशनादि सन्मार्ग प्रवर्तक परम पवित्र पश्चाचारसमाधारक पूज्य श्रीगुरु पादारविन्द पुनीताऽवनितले तत्रश्रेयः शालिनि
नगरे स्याद्वाद मुद्राङ्किताऽशङ्कित पवित्र धर्माराक, निरुपमाऽप्रमेय प्रभावशालि श्री वीतराग पदाम्भोज परागरञ्जित मानसालय, सुराऽसुर प्रार्थनीय पवित्रतमाऽक्षय महिममोक्ष प्रासादसरणिश्रीवीतरागशासनोपासक, अगाधाऽपार संसार पारावार निस्तारणपोतागमगदित शुद्ध पञ्च महाव्रत विभूषित सुगुरुक्रम सरोज समुपासक, शाश्वतिक शिवमुखैक जननखानि सम्यक्त्वमल द्वादशत्रत पालक, सकल सधर्म बन्धु वात्सल्य विधान वत्सल मैन्यादि सद्भावना वासित मनोवृत्ति पुण्य प्रभावक, श्रीमदाईतगुण विराजित श्री श्रमणोपासक श्री सचं प्रति
शेठजी श्री विगेरे श्री संघसमस्त योग्यश्री गोधावीथीं ली. श्रीसंबना स्नेहपूर्वक जयजिनेंद्र वांचशोजी वि. वि. अत्र अमारा सद्भाग्यना उदयथी अखिल सिद्धान्तयोग न्याय व्याकरण साहित्य प्रमुख विविध विद्यावाचस्पति, प्रवचन प्रतिपादित क्रियाकलाप समुद्धरणधुरीण, विद्यापीठादि प्रस्थान स्थान, परमपवित्रश्री सरिमंत्रसमाराधक निखिल सूरिगुण विशाल शुभालय मरिचक्रचक्रवर्ती सकलमत माननीय निरवद्यस्याद्वादनयोपेत देशनापीयूषपयोधर, भारतीय भूतल ध्वान्तनिहरणदिवाकर, धर्मशासन सार्वभौम, सतत जनसमाजोपकृतिविधानकनिवद्धपरिकर, तीर्थोद्धारविधायक, शासनोन्नतिकारक, भव्यजनतारक, योगांगधारक, सावध मार्गनिवारक, गुर्जर संस्कृत गय पद्यात्मक सिद्धान्त तत्त्व
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