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इतिश्री संथारा पोरिसी सूत्र संपूर्ण ॥ श्रीबृहत् खरतर गच्छे पातिश्या अकवर स्याह
प्रतिबोधिक सवाइ युग प्रधान श्री भट्टारक श्री १०९ श्री जिनचंद्र सूरिशाखायां महो
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पाध्याय श्री १०५ श्रीराजसारजी तत्सीष्य महोपाध्याय श्रीज्ञान धर्मजी ततशिष्य उपाध्याय
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श्री दीपचंद्र गणि ततशिष्य पंडित प्रवर देवचंद्र गणि लिपी कृतं ॥ बाईरूप कुयर पठनार्थ
सभं भवतु ॥
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