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॥ अथ श्री पंडित देवचंद्रजी कृत साधुनी पंच भावना ॥
DEEDS
॥ दोहरा ॥ स्वस्ति सीमंधर परम, धर्म ध्यान सुख ठाम । स्याद्वाद परिणाम धर, प्रणमुं चेतनराम ॥१॥
अर्थः-शुद्ध स्वभावमां वसवारूप परम कल्याणवाली स्वसत्ताभू मिरूप परम मंदिरमा वसवू ते रूपपरमकल्याण वली स्वसत्ताभूमि ते अक्षय शुद्ध धर्मर्नु अने परमसुखनुं स्थानक छे. वली सीमंधरस्वामी वर्तमान तीर्थकर ते परमधर्मर्नु अने परम सुखनु कल्याणकारी स्थानक छ, वली ते सीमंधर स्वामी स्यावाद परिणामवर अखंड शुद्ध चेतना परिणाममां विसरामी परम आरामी प्रभुने प्रणाम करूंछं ॥ १ ॥ महावीर जिनवर नमी, भद्रबाहु सूरीश । वंदी श्री जिनभद्र गणि, श्री क्षेमेंद्र मुनीश ॥२॥
अर्थः-कर्मशत्रु विदारखा महावीर्यवंत एहवा श्री महावीर स्वामी चोवीसमा तीर्थकरने नमस्कार करीने वली आचाोमां ईश्वर सरखा पांचमा श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु स्वामीने तथा श्री जिनभद्रगणी क्षमाश्रमणने वली क्षेमेंद्र मुनीश्वरने वंदी ॥२॥
जी कमेश तीर्थकरन की श्री मद मुनीश
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