________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्री सिद्धाचल स्तवन.
--
--
--
-
पिंडस्थे अरिहंतादिक तणीजी, मुद्रा आसन शुभगाकार रे ध्याता अतिशय उपगारीपणुंजी ध्यानपदस्थ थयो सुविचार रे
॥ धन० ॥६॥ निर्मल सिद्ध स्वभावे तन्मयीजी, ज्ञानादिक गुणथी थिर भावरे, सिद्ध शुद्ध गुणीगुण गावताजी, अविलंब्यो रुपस्थ स्वभावरे
॥धन० ॥ ७॥ सत्तागत आतमगुण ऐकताजी, ध्याता निज गुण पर्यायरे भेद स्वभावे थइ अभेदताजी, तन्मय तत्त्वे मोहविलायरे ॥
धन० ॥८॥ मोह क्षय थये घातिदलक्षय गयाजी, पाम्या निर्मल केवल ज्ञानरे; सिद्ध थया दसकोडि मुनिसरुजी, कार्तिक शुदि पुनम दिन
मानरे ॥ धन० ॥९॥ कार्तिक शुदि पुनिम जे सिद्धाचलेजी, वंदे पुजे धन नर तेहरे; उत्तम गति पामी शिव सुख लहेजी, थाये ते अनुपम सुख
गेहरे ॥ धन० ॥ १० ॥ सिद्धाचल सिध्या मुनिरायनेजी, गावो ध्य.वो धरि आणंदरे सद्गुरु पाठक श्री दीपचंदनोजी, शिष्य गणि भांखे देवचंदरे ॥
धन० ॥११॥ श्री सिद्धाचल स्तवन. चालो सखि जिन वंदन जइए, श्री विमलाचल अंगेरे, अनंत सिद्धि ध्यान सिद्धाचल, फरसी जे मन रंगेरे ॥चालो॥१॥ गुरुआचारी संघे सुविहित, पोते पायविहारीरे एकल आहारी भूमि संथारी, सकल सचित्त परिहारीरे ॥चालो॥२॥ श्रावक श्राविका प्रभु गुण गाति, प्रभु भक्ति अतिरातीरे; तीर्थकरने नमने उजाती, गजगति चतुर सुहातीरे ॥चालो॥३॥
For Private And Personal Use Only