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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्नात्र पूजा. AAmway ॥ ढाल ॥ ॥ लोकालोक प्रकाशक नाणी, भविजन तारण जेहनी वाणी ॥ परमानंदतणी नीशानी, तसु भगते मुज मतिय ठहराणी ॥ कुसुमांजलि मेहेलो नेम जिगंदा, तो० ॥ कु० ॥ ३ ॥ एम कही प्रभुना बे हाथे पूजा करी ये ॥ ॥गाथा ॥ ॥ जे सिज्झा सिन्झंति जे, सिझंसंति अणंत ॥ जसु आलंबन ठविय मण, सो सेवो अरिहंत ॥ ४ ॥ ॥ ढाल ॥ ॥ शिव सुख कारण जेह त्रिकालें, समपरिणामें जगत निहाले ॥ उत्तम साधन मार्ग देखाडे, इंद्रादिक जसु चरण पखाले ॥ कुसुमांजलि मेहेलो पास जिणंदा ॥ तो० ।। कु० ॥४॥ एम कही प्रभुना खंभायें पूजा करी यें ॥ ॥गाथा ॥ ॥ समदिठी देस जय, साहु साहुणी सार ॥ आचारिज उवझाय मुणि, जो निम्मल आधार ॥ ५ ॥ ॥ढाल ॥ ॥ चउविह संघे जे मन धार्यु, मोक्षतj कारण निरधार्यु ॥ विविह कुसुम वर जाति गहेवी, तसु चरणे पणमंत ठवेवी । कुसुमांजलि मेहेलो वीर जिणंदा । तो० ॥ कु० ॥ ६ ॥ एम कही प्रभुने मस्तकें पूजा करीये ।। इति पांखडी गाथा ॥ ॥ वस्तुच्छंद ।। ॥ सयल जिनवर सयल जिनवर, नमिय मनरंग कल्ला For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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