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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्नान पूजा. ८५५ ॥ दोहा ॥ सवं मुणिवइ जलविजड, तं तह भमलइ पास ॥ अहव कयंतसुमिम्मलु, निग्गुण बुद्धि पयास ॥१॥ जल आणेविण जलणिह पासह, भर विकयंजलि भाविहिं पासह ॥ तिन्नि पयाहिण दितिय पासह, जिम जिउ छुट्टई भव दुह पासह ॥ २ ॥ जल निम्मल कर कमलहि लेविणु, सुरवइ भावहि मुणिवइ सेविण ॥ पभणइ जिणवर तुह पइ सरण, भय तुट्टइ लभइ सिद्धि गमणं ॥ ३ ॥ ए गाथाओ कही लूण पाणी उतारीने जल शरण करवू, त्यार पछी माला लइ उमा रहिने आ प्रमाणे गाथाओ कहेवीः अथ पुष्पमाला पूजा गाथा ॥ ॥ उन्नय पुज्जय भत्तस्स, नियटाणे संठियं कुणंतस्स ॥ जिणपासे भमिय जिणस्स, निय ठाणे संठियं तस्स ( पाठांतरे ) पियतुह हुयवहे पडणं ॥ १ ॥ सबो जिणप्पभावो, सरिसा सरिसेरा जेगा चंति ॥ सवन्नूण मपासे, जडस्स भमणं ण संकमण ॥ २ ॥ अच्चंत दुक्करं विहु, हुअवह निवडेण जडेण कयं ।। आणा सबन्नूणं, न कया सुकयत्थ मूलमणिं ॥ ३ ॥ ए पाठ भणीने माला चढाववी, पछी हाथमा छुटां फूलो लेवां, ते वखत गाथाओ कहेवी, ते आ प्रमाणे: ॥ अथ छूटा फूलपूजा गाथा ॥ ॥ उसरणो जिणपुरओ, परिमल मिलिया उक्खिविह संगीया ॥ मुत्तामरेहिवो कुणओ, मरमल मिलिया उक्खिविहसं ॥ १ ॥ उवणेउ मंगलं वो, जिणाण मुहलालि जाव संचलिया ॥ तित्थ पचत्तण समए, तियसेवि मुक्का कुसुम For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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